दुश्मनी नासूर है दर्द के सिवा कुछ नही देती।
गरीबी कहीं छत नही कहीं निवाला नही देती।।
फ़रियाद करे किससे और किससे कहने जाए।
रसूखदार अपराध करते उन्हें सजा नही देती।।
सत्ता में आ गए फिर क्यों नफरती बयान देते।
जल रहे अन्दर से जिन्दगी इंतकाल नही देती।।
मंसूबा कब्ज़ा करने का दूसरे की संपत्ति पर।
कानूनी दांव पेच इसकी इजाजत नही देती।।
झूठ बोलते नही निकलने लगता भावावेश में।
और बड़ा बनना चाहे 'उपदेश' बनने नही देती।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद