हमें मालूम था इक हादसा होना है क्यूंकि तू था मुझसे नाखुश आखिर किसी को तो जुदा भी होना है
ये तो बहुत अच्छा हुआ मेरे जज्बा ए इजहार पे यकीन कर लिया तूने आखिर कोई अदा भी होना है
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते ही जुदा हो गए मुझसे हमें तो गुमां था आखिर लापता भी होना है
कभी सोचा न था अकेला मै क्यूं चल रहा हूं दुश्मनों से किसी मोड़ पे हमारा आखिर सामना भी होना है
दिल पे पत्थर रख कर वापस आ गया लेके गिले शिकवे ये सोच कर आखिर कोई फैसला भी होना है
वो बात बात पे मुझे कोसने वाला ये सोच कर उलझ गया आखिर उसका मुझसे कोई सुलह भी होना है
🙏मेरी इक और ताजा नई ग़ज़ल जज्बात ए दिल🙏