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कविता की खुँटी

        

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कविता की खुँटी

                    

माला का मोती कहाँ गिरा - वेदव्यास मिश्र - (पति-पत्नी आधारित हास्य रचना)

माला का मोती कहाँ गिरा,
क्या यहाँ गिरा ..क्या वहाँ गिरा !!
क्या इधर गिरा.. क्या उधर गिरा !!
खाईं नज़रें धोखा कैसे,
कोई तो बताये कहाँ गिरा !!

क्या ज़मीं निगल गई.. आसमान ??
मसला है असल ..श्री-मती की थी !!
रानी का हार ही ..समझो उसे,
मोती को शरम ना आई ज़रा,
सोचो तो ज़रा वो कहाँ गिरा !!


ग़र मिला न साँझ-रात तक वो,
हुक्का-पानी बंद होगा मेरा !!
कल जनम-वनम दिन है उनकी,
उनके पसंद का गिफ्ट है ये !!
कोई तो जान बचाओ मेरा !!

मिलाssss...क्या ??

----वेदव्यास मिश्र


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (11)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

श्रीमान मिलाssss...क्या ??

वेदव्यास मिश्र replied

नमस्कार भाई साहब पचौरी जी, खोज रहा हूँ अभी भी पचौरी जी..मगर पता नहीं किधर गया !! डर में ऐसी-ऐसी जगह भी खोज डाला जहाँ मोती के होने की कोई सम्भावना ही नहीं मगर श्री यानि मैं और मेरी मती की माला है !! अब तो ये पछतावा हो रहा है..कम्बख्त मेरी मती ही मारी गई थी जो माला का मती ( साॅरी ) मोती कहीं खो गया 😁😍😍😁

डॉ कृतिका सिंह said

Sundar vishay ka chayan aur rachna ki ruprekha usme shabdo ka samavesh

फ़िज़ा said

Bahut khoob bahut sundar

वेदव्यास मिश्र said

डाॅ कृतिका सिंह जी, पुलकित हृदय से आभार अभिवादन एवं नमन !! आपकी समीक्षा ने मुझे रचनात्मक रूप से रिचार्ज कर दिया है !! 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

फ़िज़ा जी, नमन करता हूँ आपको ,आपकी गरिमामयी उपस्थिति के लिए !! मैंने आपकी बहुत सी रचनाएं पढ़ी हैं..आपके जैसे ऊँचे व्यक्तित्व का सानिध्य पाकर उत्साहित भी हूँ और रिचार्ज भी !!आपने अपना कीमती समय दिया,इसके लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया आदाब करता हूँ 🙏🙏

Muskan Kaushik said

बहुत सुंदर हास्य

वेदव्यास मिश्र said

Muskan Kaushik जी, सादर आभार सुप्रभात नमस्कार 🙏🙏💜💜🙏🙏

Kapil Kumar said

Wicket vipda ka samay hai are Moti kahin aaspaas Ho to mil ja

वेदव्यास मिश्र said

Kapil Kumar जी, आपकी दुआओं के लिए नमन आभार.. माला मिला भाई साहब..मगर दस दिनों के बाद..और वो दस दिन ..बाप रे बाप 😍😁😁😍

वन्दना सूद said

मिला???…क्या 😂👏👏

वेदव्यास मिश्र said

वन्दना सूद जी, बस इस पोस्ट पे नजर भर न पड़े उनकी..बहुत मुश्किल से भूली हैं वो !! अगर इस पोस्ट पे नजर पड़ी तो बहुत ही मुश्किल हो जायेगी क्योंकि उन्हें याद जो आ जायेगा !! पता नहीं क्यों ?? आज ही याद कर रही थीं वो और बोल भी रही थीं कि बहुत ही अच्छा माला था..समझ नहीं आता..गया तो आखिर गया कहाँ !! बहुत मुश्किल से बारिश के मौसम का आड़ लेकर ध्यान बंटाया हूँ उनका 😍😁💖💖😁😍

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