माला का मोती कहाँ गिरा,
क्या यहाँ गिरा ..क्या वहाँ गिरा !!
क्या इधर गिरा.. क्या उधर गिरा !!
खाईं नज़रें धोखा कैसे,
कोई तो बताये कहाँ गिरा !!
क्या ज़मीं निगल गई.. आसमान ??
मसला है असल ..श्री-मती की थी !!
रानी का हार ही ..समझो उसे,
मोती को शरम ना आई ज़रा,
सोचो तो ज़रा वो कहाँ गिरा !!
ग़र मिला न साँझ-रात तक वो,
हुक्का-पानी बंद होगा मेरा !!
कल जनम-वनम दिन है उनकी,
उनके पसंद का गिफ्ट है ये !!
कोई तो जान बचाओ मेरा !!
मिलाssss...क्या ??
----वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है