दिल बांट दिए ।
दिमाग बांट दिए ।
ज़मीन जायदाद
बेटा बाप बांट दिए ।
नफराती शोलों से
लोग बांट दिए।
अज़ीबों गरीब
नेता यहां के
कुछ भी ना बचा
जिसको वो ना
बांट दिए।
ऐसे तो ना थी
मेरी देश की हवा ।
ऐसी तो ना थी
मेरे देश की मिट्टी ।
यहां कण कण में
अब धार्मिक उन्माद
भर दिए।
अब बस भी करो
जान लेकर हीं मानोगे क्या ?
देश की अमन चैन
खूबसूरती जलाकर
हीं मानोगे क्या ?
तुम्हारा क्या जाता है
लूटकर देश को
आम आदमी को कंगाल
बना रहे हो।
निचोड़ कर रख दिया देश को
सिर्फ़ टैक्स पर टैक्स
लागा रहे हो।
अब बस भी करो यार
ये जो तुम कर रहे हो..
ये जो नफरत की सियासत
कर रहे हो..
ये जो नफ़रत की सियासत
कर रहे हो...