हाथ थाम कर चलना सिखाया क्या मिला।
उलझनो के साये मिले प्यार नही मिला।।
मतलबी दुनिया पता थी मगर दिल न माना।
हसरते पूरी करते रहे प्यार नही मिला।।
मौका मिलते ही तोते उड गये अपने घर।
घर बनाया खाली रहा प्यार नही मिला।।
किसी को मेरी फिक्र नही खुदा के सिवाय।
जमाने का यही चक्र 'उपदेश' प्यार नही मिला।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद