ये धर्म जाती के नाम पर
अधर्म क्यों हो रहा है।
इंसान धरती पर आकर
हैवान क्यों बन रहा है ।
आदमी खुद को कितना
होशियार समझता है
फिरभी आपस में लड़ता है।
ये सामाजिक ताना बाना भी
इंसानों ने हीं बनाया
और बिगड़ भी इसे क्यों रहें हैं
झूठी शान अभिमान में
सब बिखेर रहें हैं।
बड़ा दुःख होता है हालात
देश का देख कर
मर रहें हैं वो जो देश की आजादी
की लड़ाई में संग संग लड़े थे
वही अब तेरे मेरे की लड़ाई में
हैवान बन गए हैं
कभी दंगा फसाद
तो कभी धर्मांधता में लड़ रहें हैं
बाहरी ताकतें तो यहीं चाहती हैं
देश जलता रहें इसके लिए
सब खुराफात रचतीं हैं
मैं हाथ जोड़ कर सबसे निवेदन
करता हूं
देश की एकता अखंडता
सामाजिक ताना बाना को
प्रेम सौहार्द भाईचारे के संग
बचाए रखने की अपील करता हूं
मैं देश को टूटता जलता लूटता
पिटता रोता तड़पता बिलखता
देख नहीं सकता हूं
मैं अपने देशवासियों को आपस में
लड़ता देख नहीं सकता हूं
हूं मैं भारत का लाल
मैं किसी भी चीज से नहीं डरता हूं
बस मैं अपने देश पे मारता हूं..
मैं अपने देश पे मारता हूं...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




