ऐ मेरे वतन तूझे सलाम करते हैं
मिली हुई है सांसें, तेरे आंचल की छांव में
हर सांसें हम अपनी, तेरे नाम करतें हैं
खायी है अन्न तेरी,पायी है जिंदगी
ये जिंदगी तेरी, तूझे क्या,दान करते हैं
बांधी कफ़न है आज,सर से पांव तक हमने
तुझपे ही सर कटाएंगे, ऐलान करते हैं
वो खून भी किस काम का, बहती है रंगों में
तेरी बदी में उफान का,बस,बयान करते हैं
उंगली जो तेरी तरफ उठी, तकरार के लिए
वो खुद ही शान तबाही का, इंतजाम करते हैं
जिनकी नजर बुरी है, कश्मीर के लिए
वो क्यूं अपनी झूठी हस्ती पर,गुमान करते हैं
क्यूं शान ए वतन पर,"समदिल"इतराता है
तेरी तरह हर शक्श यहां,सुबहो शाम करतें हैं।
सर्वाधिकार अधीन है