चुनाव का द्वंद्व
डॉ0 एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
सोने की चैन की चाहत है मन में, चमक-दमक और झूठी शान,
या चैन से सोना, सुकून की नींद, जिसमें न हो कोई थकान?
पहला बंधन है भारी, दिखता है सुंदर पर कारा है,
दूजा आज़ादी है सच्ची, जिसमें जीवन का सहारा है।
सोने की चाह में भागता फिरता, दिन रात की नहीं सुध लेता,
अंत में पाता है खालीपन ही, चैन से सोना भी भूल जाता।
यह चमक दिखावे की है क्षणिक, भीतर अशांति भर जाती है,
असली धन तो मन की शांति है, जो चैन से सोने से आती है।
इसलिए ओ मानव, सोच समझकर, अपने जीवन का लक्ष्य बना,
सोने की चैन का मोह तज दे, चैन से सोना ही अपना।
यह बाहरी आकर्षण है धोखा, अंतर की शांति अनमोल है,
चैन से सोकर ही पाएगा, जीवन का सच्चा तू मोल है।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




