हाथ पकड़ो ,
वक्त के साथ चलो ,
मत पिछड़ों !
पिछड़ गए ,
पिछड़ते रहोगे ,
सहोगे पीड़ा !
पीड़ा सहन,
करते 2 फूटेगा ,
सब्र का घड़ा !
धीरज खोया ,
तमन्नाएं धूमिल ,
म्लान मुखड़ा !
पछतावा है ,
क्यों चूके पकड़ना ,
वक्त का हाथ !
✒️ राजेश कुमार कौशल
New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|
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पिछड़ गए ,
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सहोगे पीड़ा !
पीड़ा सहन,
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सब्र का घड़ा !
धीरज खोया ,
तमन्नाएं धूमिल ,
म्लान मुखड़ा !
पछतावा है ,
क्यों चूके पकड़ना ,
वक्त का हाथ !
✒️ राजेश कुमार कौशल