मिलते -मिलते हम तुम यारा ,
साथ -साथ का न्यारा नजारा l
एक- एक बाते संभल संभल कर ,
छिप- छिप हंसना कितना प्यारा l
झूठा-झूठा गुस्सा करना ,
जिद कर-कर के अपना लडना l
कितनी यादें धुंधली बिखरी
हम दोनो के अवचेतन मे ,
आओ करले साफ उन्हें
या फिर मिल जाए किसी सपन में
रुक- रुक करके सांसे गिनना ,
प्यारा था वो दिल का मिलना l
बैठ रात में तारे गिनना ,
या चंदा में तुमको तकना l
यादों - यादों मे खो जाना ,
सीने लग वो धड़कन सुनना l
बिखरे बिखरे इन तिनको को
मिलके हम तुम फिर से बुनले l
आओ करले साफ़ .....
कहते कहते मौन सघन में ,
या तेरी गहरी सिसकन में l
उल्टी सीधी सी बातो में ,
फिर तेरी तिरछी चितवन में l
गलियाँ कॉलेज देवालय में ,
या फ़ूलो के उस उपवन में l
बंद किताबो के पन्ने को ,
हम तुम यारा फिर से पढ़ले l
आओ करले साफ .......
धीरे -धीरे वक्त ये गुजरे ,
गुजरा था जो कभी पलो मे l
मीठे- मीठे ख्वाब कहाँ है ,
सींचा था जो कभी नयन ने l
बिखरे -बिखरे केश सम्हाले ,
तशवीरो के बस देखन मे l
प्रश्न अधूरे कई पड़े है ,
हम तुम मिलके क्या हल करले ,,
आओ करले साफ ......
तेजप्रकाश पांडे द्वार लिखित उपरोक्त गीत कॉपीराइट अनुबंधो के अंतर्गत है 🙏