जो यहां मिला, यही छूटेगा।
प्राण पखेरू हुए, भ्रम टूटेगा।
अपना कहते थे जिनको, वही लूटेगा।
जिस धन के लिए, बेईमानी और चालें चली।
उसके लिए, देखो !यह कैसी भगदड़ मची।
मुझ पर ही ,देखो! पैर रखकर निकल गया।
होश ही नहीं, नीचे है कोई गिरा पड़ा।
किए हैं पाप बहुत, जिसकी सजा मिल रही है।
आ नहीं रही, दरवाजे पर टकटकी लगाऐ खड़ी है।