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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

यह भी तुम को याद नहीं

कापीराइट गजल

कब आहें निकली दिल से यह भी तुम को याद नहीं
कब, गम ने थामा दामन, यह भी तुम को याद नहीं

तुझे खुश रहने के सिवा था मतलब और नहीं कोई
गम सहता रहा मैं खुशियों में, ये भी तुम को याद नहीं

तुम्हारी मुस्कान की खातिर हम चलते रहे अंगारों पर
हम हर चाहत पर खाक हुए ये भी तुम को याद नहीं

हर बार खुशी देते-देते यह जख्म हरे हो जाते थे
मरहम की जगह जख्म दिए ये भी तुम को याद नहीं

जब भी मेरे दिल को तूने, छेङा यूं गम के तारों से
हर आह पे वाह कहा तुम ने ये भी तुम को याद नहीं

तेरे, ख्वाबों की खातिर, अपने ख्वाबों को तोङ दिया
कब-कब तूने दिल को तोङा ये भी तुम को याद नहीं

जब, तुम छोङ गए हम को, मर के जिये कैसे यादव
क्यूं, हम तन्हाई में डूब गए, ये भी तुम को याद नहीं

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

इक़बाल सिंह “राशा“ said

बहुत खूबसूरत लाजवाब लेखराम जी

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद सर, आपको सादर नमस्कार

Updesh Kumar Shakyawar said

वाह लाजवाब..आपको सादर प्रणाम 🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद सर, आपको सादर नमस्कार

Shiv Charan Dass said

अति सुंदर रचना

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद सर।

श्रेयसी said

बेहद लाजवाब रचना सुप्रभात सादर प्रणाम लेखराम भैया 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक शुक्रिया मेरी प्यारी बहना।

Supriya sahu said

बहुत खूबसूरत एवं लाज़वाब रचना सर जी 👌😊, कुछ दिनों से आपकी रचना पढ़ने को नहीं मिल रही थी, कहाँ चले गए थे आप, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद सुप्रिया जी, हम कहीं नहीं गए यहीं थे, मगर कुछ लिखने को मन नहीं कर रहा था, आज मन किया तो गजल लेकर हाजिर हो गए। आपको सादर नमस्कार

वन्दना सूद said

बहुत खूबसूरत भावनाओं में भीगी रचना 👏👏👌👌🙌🏻🙌🏻ultimate 🙌🏻sir

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद, आपको सादर नमस्कार वन्दना जी।

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