बहुत था दिल पर इश्क-ए-असर।
छुपा कर ले गई वो आँखों में मगर।।
लबों पर रुक रुक कर न आई सदा।
कहे भी तो कैसे सम्हले न जिगर।।
बिछुड़ करके ख्वाबों में मिलने लगे।
बनाया था दिल ने वहीँ अपना घर।।
उसका लहजा अधूरा अधूरा रहा।
बचा नही कट गया उम्र का सफर।।
थमे भी नही उखड़ उखड़ कर चले।
थी साँसों में ठहरी 'उपदेश' रहगुज़र।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




