खुद को न देखा हमारी देख-रेख में रही।
वजूद तुम्ही से मेरा तस्वीर आँखो में रही।।
प्यार इतना बक्कुर फूटते ही माँ निकला।
माँ ने भी चूम लिया बाहो में हिलाती रही।।
बिस्तर पर पलटने की आदत जो पड गई।
गिर न जाये लाल के ख्याल से डरती रही।।
घुटनो पर भागना छिपने की जगह ढूँढना।
याद दिलाए माँ 'उपदेश' आहट आती रही।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद