देकर आंसू किसी की आंखों में
तुमने खुशी पाई तो क्या.....
हिस्सा किसी का मारकर तुमने
अपनी तरक्की की तो क्या...
देकर दुख किसी को
तुमने सुख पाया तो क्या..
अपने क्रोध की शांति के लिए
दिल दुखाया किसी का तो क्या..
गिराकर घर किसी का तुमने
महल अटारी बनाया तो क्या..
बड़े हिष्ठ पुष्ठ लंबे चौड़े स्मार्ट
हो तो किसी के काम आए हो क्या..
बड़े अमीर हो पैसे वाले हो
बड़ी बड़ी गाड़ियों पे चलते हो
कभी फुटपाथ वालों के लिए कुछ
किया है क्या..
बहुत बड़े वाले होशियार बनते हो
कुछ देश समाज के लिए किया है क्या..
अगर कुछ किया ही तो बताओ
वरना यूं ना दंगा फैलाओ।
शांति से बैठो समाज में गंदगी ना फैलाओ।
जाओ जी जाओ यूं ना मुंह बनाओ..
जाओ जी जाओ यूं ना मुंह बनाओ...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




