भ्रष्टाचार
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात "
शिक्षा का मंदिर, जहां ज्ञान की बात होती है,
लेकिन यहां के चंद सरकारी अध्यापक, प्राइवेट एनजीओ के लिए भागते हैं।
सरकारी वेतन लेते हैं, लेकिन काम नहीं करते हैं,
यह कैसी व्यवस्था है? यह कैसा न्याय है?
चंद सरकारी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य, अध्यापकों के साथ मिलकर,
प्राइवेट एनजीओ के नाम पर सरकारी रिलीविंग लेते हैं।
दो-दो वेतन लेते हैं, एक सरकारी एक प्राइवेट,
यह कैसी शिक्षा है? यह कैसा भविष्य है?
शिक्षा का मंदिर, जहां ज्ञान की बात होती है,
लेकिन यहां के चंद अध्यापक, प्राइवेट एनजीओ के लिए भागते हैं।
यह कैसी व्यवस्था है? यह कैसा न्याय है?
तो आइए, हम इस व्यवस्था को बदलें,
और शिक्षा के मंदिर को उसकी असली जगह पर लाएं।
जहां अध्यापक और प्रधानाचार्य,
शिक्षा के लिए समर्पित हों, न कि प्राइवेट एनजीओ के लिए।
जहां शिक्षा का मंदिर, सच्चे अर्थों में शिक्षा का मंदिर हो,
और जहां अध्यापक और प्रधानाचार्य, शिक्षा के लिए जिएं।