महक ए गुलिस्तां ,पारिवारिक इकाई,
दादा दादी के बाद मां बाप ने निभाई,
मर्यादित बाप आजीवन रहे उत्तरदायी,
धरोहर सरंक्षण औलाद की बारी आई,
आधुनिक परिदृश्य की बेवाक सच्चाई,
रिश्ते नाते बनते बोझ बगिया मुरझाई ,
उल्टी गंगा बहे पूर्व_पश्चिम भाई_भाई,
सिर पर हाथ रखते असहाय बाप_माई,
बेऔलाद होते परंतु होती न जगहंसाई,
अंतरिक्ष दुकेला दिखे धरती पर तन्हाई,
कलियुगी शातिर सिक्कों खातिर भाई,
बुद्धि विवेक_शून्यता घर_घर है छाई ,
वर दे_दे रे भगवान मांगे समय दुहाई,
जीवंत रहे संस्कार परोपकार सच्चाई !
✒️✒️✒️ राजेश कुमार कौशल

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




