सचमुच का इश्क़ है या,
बात ही कुछ और है !!
कहीं ऐसा तो नहीं ये सब,
तिरछी नज़रों का कमाल है !!
इश्क़ कहते भी हैं ,
कुछ पता भी है या यूँ ही !!
ज़रा चेक करवाओ..आजकल,
ये कुछ और ही बुखार है !!
वासना और इश्क़ में,
महीन सा फर्क है !!
एक का कनेक्शन है,
जिस्म से ...तो दूजा ..
रूह की मीनार है !!
ऑथर वेदव्यास मिश्र की
अहसान भरी कलम से...
सर्वाधिकार अधीन है