जो आया है उसे जाना ही होगा,
यह हक़ीक़त मैं अपना नहीं पा रही हूॅं।
जीवन की इस कड़वी सच्चाई को याद कर,
बस डर - डर जीए जा रही हूॅं।
एक दिन वो मुझे छोड़ चले जायेंगे,
यही सोच - सोच घबरा रही हूॅं।
वजह यही है जो रातों को अक्सर नींद नहीं आती,
उन्हें खोने के भय से ख़त्म हुए जा रही हूॅं।
ज़िस्म मेरा है मगर रूह उनकी है,
मैं चाहकर भी सम्भल नहीं पा रही हूॅं।
जो आया है उसे जाना ही होगा,
यह हक़ीक़त मैं अपना नहीं पा रही हूॅं।
🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️