मरना है?
अरे, आसान है!
बस एक छलांग…
या कोई गोली…
या फिर ज़हरीली कोई रोटी गोल-गोल!
काम तमाम!
ख़त्म सलाम!
पर जीना?
अरे भई, जीना मुश्किल काम!
सुबह उठो,
तो नींद से लड़ाई,
ट्रैफिक में फँसो,
तो हॉर्न की सुनवाई!
ऑफिस में बॉस की डांट,
घर में राशन की बात!
बीवी की फरमाइशें,
बच्चों की ख्वाहिशें,
कमीज़ पे इस्त्री,
फिर भी शिकन की साजिशें!
फेसबुक पे हँसी,
अंदर से दुखी,
व्हाट्सएप स्टेटस –
“लाइफ इज़ ब्यूटीफुल!”
और आँखों में नमी!
अरे, जीना कोई मज़ाक नहीं भाई!
मिलती नहीं मुफ़्त की रोटियाँ,
रोज़ संघर्ष के चूल्हे जलाने पड़ते हैं!
मरने को एक लम्हा चाहिए,
पर जीने को हज़ार बहाने पड़ते हैं!