अभिशापो मे वरदानो मे,
उपवन या फिर बीरानो मे,
शब्दो मे या मौन अटल मे ,
कब तक मैं झुटलाऊ ,
सच को कब तक मैं न दिखाऊ ..
बोलो कब तक मैं झुटलाऊ l
भटकन में दिल की टूटन में ,
अथक प्रयासो के निष्फल में ,
आँशु मे या फिर शिश्कन में ,
कब तक तुझे छुपाऊ ....
बोलो कब तक मैं झुटलाऊ ..
रातो की उन उच्छ्वाशो मे ,
भीगे -भीगे अंतरमन में ,
मीठे -मीठे से सपनों में ,
कब तक तुझे सुलाऊ ,
बोलो कब तक मै झुटलाऊ ..
यादो से दिल की धड़कन से ,
दर्द भरी या मीठी चुभन से ,
ख़ुशबू से या फ़िर तन मन से ,
कब तक तुझे भुलाऊ ...
बोलो कब तक मैं झुटलाऊ ..
सोये जागे इन सपनों से ,
मीठी बातों से रह रह कर ,
धीमे स्वर या आलापो से ,
गीतो से मैं बुलाऊ ....
बोलो कब तक मैं झुटलाऊ l