इस राह पर चलो मेरे साथ
पग दो पग
फिर,
पता चलेगा
कौनसी राह पर कितना सुख है
हर राह मुश्किल
मंजिल दूर
मुसाफिर थकना नहीं
तुम जो राह चल रहे हो मेरे साथ
प्रभु मिलन की बात
थोड़ी अंधेरी रात
भोर की सीतल प्रकाश में
दिखेगा प्रभूधाम
हौसला रखना
मिट जाएगी जन्मजन्मांतर की प्यास
हे भगवंत...
तुम मेरे साथ l
✍️ प्रभाकर, मुंबई ✍️