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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कब से है तेरा इन्तिज़ार ऐ ज़िन्दगी-ताज मोहम्मद

कब से है तेरा इन्तिज़ार ऐ ज़िन्दगी।
अरसा हुआ मायूसी का ऐ ज़िन्दगी।।1।।

ऐसा ना हो कि तू आये देर से बाद में।
जीत जाएं तुझसे मौत की यह घड़ी।।2।।

हारना मैंने अभी तक तो सीखा नहीं।
आने की तेरी ये आस,ताकत है बड़ी।।3।।

ऐसा पता है मुझको कि तू आएगी जरूर।
मंजिलें तो मिलेंगी भले मुसीबतें हैं बड़ी।।4।।

हाँ जीने की चाहत थोड़ी कम तो हुई है।
पर खुश हूं क्योंकि माँ की दुआएं है बड़ी।।5।।

निशानियाँ मिल रही है खुशियों की।
चाहत मेरी जब से खुदा से है जुड़ी।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Lekhram Yadav said

ताज भाई लिखते आप भी गजब का हैं । मां की दुआओं से बड़ा भला क्या हो सकता है।

ताज मोहम्मद replied

बेशक। प्रतिक्रिया के लिए आपका ह्रदय से आभार।

रीना कुमारी प्रजापत said

Herat touching

ताज मोहम्मद replied

Thank you very much

Mohan Kumar said

Bahut khoob ek number

ताज मोहम्मद replied

आपका ह्रदय से धन्यवाद।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Uttam Rachna, taaj sahab khuda se judne ke baad fir kisi se judne ki jarurat nahi rahti bahut khoob samjhaya aapne

ताज मोहम्मद replied

तहे दिल से शुक्रिया भाई जी।

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