कभी तो इस तरह मीलो तुम्हे कोई रंज ना हो
मुजे कोई गीला ना हो तुम्हे कोई शिकवा ना हो
कभी प्यास दे कभी बादलो के उमड़ने का सीला
मगर यु केद ना कर जहां जीने का हौसला ना हो
तेरे जहा में क्या नहीं आखिर ये सब तेरा ही तो हे
बस दुवा मेरी कुबूल हो और कोई फरियाद ना हो
करीब हमभी थे कभी जान कुरबान करते थे
पर आज ऐसे गुजरे जैसे कभी मिले ही ना हो
के बी सोपारीवाला

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




