आओ उड़ चलें गाँव की ओर हम,
जहाँ के परिंदे हैं हम,
पले-बड़े स्वच्छंद हवा में हम,
पेड़-पेड़ उड़ें, टहनी-टहनी,
खेलें खेल, आनंद-मग्न हम,
उड़ें हवाओं से ऊँचे हम,
खेतों के डकैत हम,
कुछ गालियाँ, कुछ खा लिया,
जीवन से भी जीवंत हम,
किसी आँगन, किसी छत,
क्या-क्या नहीं खाते हम,
वहाँ कूड़े में खुशबू पाते हम,
किसी की तलाश में शहर आए हम,
इमारतों के जंगल में,
भवनों के घोंसलों में,
रहते कुछ इंसान नहीं, हम,
पंख हैं, उड़ सकते हैं हम,
आओ उड़ चलें गाँव की ओर हम।