1, कितनी सदियों को इसने काटा है,
वक़्त को क्या थकन नहीं होती ।
2, हर एक पल को जिया है शिद्दत से ,
वक़्त हमने कहां गवाया हैं।
3, आज भी इंतज़ार उसका है ,
वक़्त जो लौट कर नहीं आया।
4, खुद उम्मीदों का ज़िंदगी में हिसाब बन जाता,
वक़्त पर तू अगर वक़्त का जवाब बन जाता ।
5, एक हम थे, जो बदल न सके,
वक़्त-ए-हालात कब नहीं बदले।
7,आज भी इंतज़ार उसका है,
वक़्त जो लौट कर नहीं आया।
8, दुनिया की कोई दौलत फिर काम न आए,
वक़्त की मुट्ठी से जब वक़्त सरक जाए।
9, वक़्त की फ़ितरत को बदल कर रखते,
कैसे तुझको निगाहों की हद में रखते।
10, वक़्त का वक़्त जवाब होता है ,
हर गुनाह का हिसाब होता है।
11,कोई कितना बिख़र गया कैसे,
वक़्त गुज़रा, गुज़र गया कैसे।
12, ये जवां खुद में है, हमेशा से ,
वक़्त होता , ज़ईफ़ थोड़ी है।
13, वक़्त को गुज़र जाने की आदत नहीं होती,
हसरत भरी नज़रों में शिकायत नहीं होती।
डाॅ○फ़ौज़िया नसीम शाद