तुम्हारे बिना ये जहाँ कब अच्छा लगता है,
तुम मेरे साथ हो तो सब अच्छा लगता है।
मैं जब रहूँ उदास और गले से लगा ले मुझे,
वो जब ऐसा करती है तब अच्छा लगता है।
बिना बात के लड़ती है मुझसे और कहती है,
यूँ बेवजह नाराज़ होना कब अच्छा लगता है।
लिपट कर मुझसे उदास भी होने नहीं देती,
मेरे माथे पर रखती है लब अच्छा लगता है।
भटकता फिर रहा ताउम्र जिसकी तलाश में,
पा लिया उसे अब सब अच्छा लगता है।
🖊️सुभाष कुमार यादव


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







