तुमनें सोचा हम यूँ ही चुपचाप अपना प्यारा शहर छोड़ जायेंगे।
वक़्त का तकाजा है खामोशी वरना मौत का मंजर मचाएंगे।।1।।
यह तूफ़ान के आने से पहले की खामोशी है मेरे दुश्मनों।
जिस दिन वक़्त हमारा होगा तुम सब पर मौत की चादर चढ़ायेंगे।।2।।
वह गया हैं तुम्हें तन्हा छोड़कर गम में किसी और के पास।
खुद ही लौट आएंगे जब तेरी जैसी बेलौस सच्ची मोहब्बत ना पायेंगे।।3।।
यूँ अब हम तेरी बेवफाई पर खुद को ना देने देंगे सजा।
जिसने किये है गुनाह रिश्तों में अब सजा भी वही बदबख़त पायेंगे।।4।।
सारे लोगो ने देखी थी मोहल्ले में उस दिन की वारदात।
अब यह तुम्हारे झुठे सबूत अदालत में किसी काम ना आयेंगे।।5।।
किस किस को तुम झूठा साबित करोगे अपने गंदे फ़रेब से।
यह सब खुदा के बंदे है हक-ए-ईमान पर तुमसे लड़ जायेंगे।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ