झूठ - डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
झूठ का है,
बोल वाला।
आईने में देख,
तेरा मुंह काला।
ईमानदार के पांव,
घायल हो गए।
चलते चलते,
खून से लाल हो गए।
अंकी इंकी डंकी लाल,
काकी ताई भी आ मिली।
करके गायब भंडार,
बन गई जमींदार।
एक ही फटकार में,
नाच रही बाजार में।
गिरती पड़ती,
झोला लिए हाथ में।
टंडे मंडे करती हुई,
कसम खाकर ,
बच्चे की बोली,
भ्रष्टाचारी सब्जी में,
मेरा नहीं गरम मसाला।
तीनों कर रहे घोटाला ऐ!"विख्यात,
एंट्री करप्शन ने डाला है छापा।