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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कविता : असल में....

कविता - असल में.....
मैं तुम्हें चाहता
तुम मुझे चाहती
मै तुम्हारे बगैर नहीं रहता
तुम मेरे बगैर नहीं रहती

ये सौ प्रसेन्ट सही है
कुछ गलत नहीं है

मगर मैं तुम्हें चाहता रहूंगा
तुम मुझे चाहती रहोगी
मैं तुम्हें अच्छी कहता रहूंगा
तुम मुझे अच्छा कहती रहोगी

इसकी कोई गारंटी नहीं है
असल में हकीकत यही है

मैं तुम्हें प्यार करता हूं
तुम मुझे प्यार करती हो
मैं तुम्हारे लिए मरता हूं
तुम मेरे लिए मरती हो

ये सौ प्रसेन्ट सही है
कुछ गलत नहीं है

मगर मैं तुम्हें प्यार करता रहूंगा
तुम मुझे प्यार करती रहोगी
मैं तुम्हारे लिए मरता रहूंगा
तुम मेरे लिए मरती रहोगी

इसकी कोई गारंटी नहीं है
असल में हकीकत यही है

साथ में खाना साथ में पीना
साथ साथ में जीना
ये ऐसा बादा करना
फिर साथ में ही मरना

ये सौ प्रसेन्ट सही है
कुछ गलत नहीं है

मगर साथ में खाएंगे साथ में पिएंगे
हम दोनों साथ साथ ही जिएंगे
सब कुछ साथ साथ ही करेंगे
मरना भी साथ साथ ही मरेंगे

इसकी कोई गारंटी नहीं है
असल में हकीकत यही है
असल में हकीकत यही है.......




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत ही गंभीर विषय हास्य भी है और गंभीरता भी परिस्थिति के हिसाब से बहुत सुंदर रचना महोदय प्रणाम स्वीकार करें

नेत्र प्रसाद गौतम replied

नमस्कार अशोक कुमार पचौरी जी आप की प्रशंसा ही मेरे लिए विशेष महत्व रखता है आप को बहुत बहुत धन्यवाद।

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