फलख के चाँद तारों से कह दो यूँ न ऐसे इतरायें कि वह आयें हैं।
उनकी चाँदनी की अब मुझको कोई जरूरत नहीं कि वह आये हैं।।1।।
बड़ा गुरूर था तुझको ऐ कमर अपनी चांदनी रात पर।
पर आके देख जलवा ए हुस्न मेरे महबूब का तू कि वह आयें हैं।।2।।
तुझमें है दाग किस वजह से ऐ चाँद ये तो मै भी जानता नहीं।
पर आके देख ले बेदाग कुदरत अपने खुदा की कि वह आयें हैं।।3।।
फरिश्ते भी जिसे दुआओं में मागें खुदा से अपनी इबादत में।
तू भी दीदार कर ले उस खुदा की कायनात का कि वह आयें हैं।।4।।
आने से उसके दिवानगी आ जाती है चरागों की रोशनी में।
परवानें कह रहें हैं शम्मा से जल जाने दो अब तो कि वह आयें हैं।।5।।
जल्लादों से कह दो रुक जायें वो फकत कुछ लम्हों के लिये।
दीवाना देख ले इक बार दिलदार को पलभर के लिए कि वह आयें हैं।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




