कविता : सातों जनम....
सुख दुख में हमेशा मेरे
साथ हंसना और रोना तुम
प्रिय ये जनम क्या ?
सातों जनम मेरी ही होना तुम
खाना पीना उठना बैठना
साथ में ही सोना तुम
प्रिय ये जनम क्या ?
सातों जनम मेरी ही होना तुम
मैं हूं न अकेली कभी
बर्तन कपड़े न धोना तुम
प्रिय ये जनम क्या ?
सातों जनम मेरी ही होना तुम
मैं फूलों का विज ले आऊंगा
गमलों में बोना तुम
प्रिय ये जनम क्या ?
सातों जनम मेरी ही होना तुम
मुझे अकेला छोड़ कर
कहीं भी नहीं खोना तुम
प्रिय ये जनम क्या ?
सातों जनम मेरी ही होना तुम
प्रिय ये जनम क्या ?
सातों जनम मेरी ही होना तुम.......