नींद के आगोश से जब जागेगी जिंदगी
पल पल का हिसाब मांगेगी जिंदगी
जिसकी होंगी जो सजा उसको मिलेगी
दर्द की सलीब पर टांगेगी जिंदगी
झोली पसार बैठे हुए हैँ उम्मीद से राह में
कुछ खुशी भीख में डालेगी जिंदगी
कोई कुछ कहता रहे फर्क पड़ता ही नहीं
अपने बंद पत्ते कब खोलेगी जिंदगी
कब रोना कब हंसना है आदमी तय करेगा
हर कदम पे दास तोलेगी जिंदगी....II