दिल से जुड़े लोगो से व्याकुल दिल।
अजीब माहौल बनाता जंजाल दिल।।
कभी बेसुध हो जाती ग़ज़ल पढ़कर।
कभी अन्तर ध्यान होता बेहाल दिल।।
अपना किया खुद ही सम्हालना होगा।
कुछ नही करने वाला खलील दिल।।
खुद ही समेट लिया 'उपदेश' बवंडर।
फैला रखा देखा हुआ जलील दिल।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद
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