मोहब्बत को तस्वीर से ना देखो,
हर काम को तकदीर से ना देखो,
हम जो हाथ रख दे किसी हाथ पर,
उसके बाद किसी लकीर से ना देखो,
मोहब्बत अक्सर दो टुकड़ों में रहती है,
वो मिलते ही उसके भीतर से ना देखो,
जाने ये क्या होता है,
साथ रहने पर भी,
ये शक़ कहां से होता है,
यह भी इश्क के जहान से होता है।।
- ललित दाधीच।