New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

गुरु पूर्णिमा और शिक्षक दिवस

गुरु पूर्णिमा और शिक्षक दिवस
गुरु पूर्णिमा को स्वीकारें
या शिक्षक दिवस को अपनाएँ
दोनों ही जीवन को प्रकाशित करते हैं
कुछ पढ़ने में आया तो लगा कि
आज की छोटी सोच ने इन दोनों दिनों में भी भेद डाल दिया
अज्ञानता को ज्ञान का प्रकाश देने वालों को भी अज्ञानता की चादर से ढक दिया
शिक्षा को भी सनातन की लकीरों से बाँट दिया
एक हमें अध्यात्म से जोड़ता है
दूसरा जीवनयापन की दिशा दिखाता है
जब दोनों ही अभिवादन के योग्य हैं
तो क्यों कुछ लोग इन्हें संस्कृति से जोड़ते हैं ?
क्या ये वही लोग हैं ?
जिनके स्वयम् के बच्चों ने कभी तिलक,मौली नहीं लगाया होगा और कभी धर्म की राह भी नहीं गए होंगे
कोई उनको क्यों नहीं समझता ?
संस्कृति कोई भी हो उसकी शुरुआत अपने घर से ही होती है
तब ही उसे समाज अपनाता है
और श्रेष्ठता चाहे दिन की हो या व्यक्ति विशेष की
समाज के लिए उसका योगदान ही उसे सर्वश्रेष्ठ बनाता है..
वन्दना सूद




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Lekhram Yadav said

हैपी शिक्षक दिवस वन्दना जी।

वन्दना सूद replied

🙏🙏aapko bhi

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Very true, samaj m bahut sari buraiyan aur dikhawe vyapt hain lekin yeh jo aapne point out kiya hai yeh kisi atankwaad ki tarah panap raha hai aur badhta ja raha hai, hame isase bachna hoga,,pranam 🙏🙏 Shikshak Divas Ki shubhkamnayein.🙏🙏

वन्दना सूद replied

Bahut sahi kaha aapne aisi soch bhi ayankwaad se kam nhi hai

श्रेयसी said

Bahut khoob. Happy teacher's day 🌷🌷🙏🙏

वन्दना सूद replied

Aapko bhi 🙏🙏

कमलकांत घिरी said

सच कहा मैम आपने, बहुत सुंदर रचना 👌👏🙏प्रणाम आपको🙏

वन्दना सूद replied

क्या करें sir गलत सोच पढ़ने को मिलती है कहीं तो चुप नहीं रहा जाता 😊

विषय चर्चा श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन