कापीराइट गजल
किसको दर्द नहीं होता
दर्द ले कर दिल का किस को दर्द नहीं होता
अपना, बनाने का, किस को मर्ज नहीं होता
करते हैं ये सब दिखावा नए बहाने बना कर
क्या इन बहानों से किसी को दर्द नहीं होता
कोई, कैसे करे यकीन उनका, इस जमाने में
क्या, साथ निभाने का, कोई फर्ज नहीं होता
ये कैसी दुश्मनी है, इस दोस्ती के नकाब में
इन, बातों से किसी का, कम दर्द नहीं होता
कुछ कहो, कुछ तो बोलो, क्यूं मौन हो तुम
सच कहने में कभी भी कोई हर्ज नहीं होता
रह कर खामोश कहां तुम, ऐसे जी पाओगे
क्या कह पाओगे सब से, कि दर्द नहीं होता
दुनियां, में बहुत हैं, साथ छोडने वाले यादव
अपने हैं सभी मगर सच्चा हमदर्द नहीं होता
लेखराम यादव
( मौलिक रचना)
सर्वाधिकार अधीन है