नए साल में- डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
अंकी इंकी डंकी लाल,
पहले तीन थे बेचारे,
तीन से चार, चार से पांच, पांच से छः,
छः से सात, सात से आठ हो गए।
डस रहे हैं उन्हीं को,
आस्तीन के सांप हो गए।
भ्रष्टाचारी संगठन बनाकर,
जमाने को लूट रहे हैं।
प्राइवेट कागज पर,
सरकारी मौहर लगाते हैं।
नकली को असली,
असली को नकली बताते हैं।
खातों में करके हेरा फेरी,
किसी न किसी के नाम पर।
बिल फाड़कर,
बैलेंस निल कर दिया।
अपने लिए एक फ्लैट,
लग्जरी कार को बुक कर दिया।
मगर ये क्या,
अपने ही खास ने।
नाप लेकर गरदन का,
उसी रस्सी का फंदा बुन दिया।
फंस गए बेचारे,
अपने बिछाये हुए जाल में।
जाएंगे सभी लंबी यात्रा पर,
अब के नए साल में।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




