ये नरम हवाएं, ये मीठा समां,
तू जब साथ हो, लगे यहीं जहां।
कोई बोलूं ना, कोई कहूं ना,
तेरी खामोशी भी दे जाए दास्ताँ।
तेरे साथ चलूं तो धड़कन चले,
तेरे संग रहूं तो सवेरा ढले।
तेरे पास आऊं… तो अच्छा लगे,
कुछ ना कहूं… फिर भी सब कह जाए।
तेरे साए में ढलती धूप सी छाँव,
तेरे मुस्कान से खिलता दिन का साव।
कदम जो टकराते तेरे साथ कहीं,
हर जख्म भी लगे जैसे हँसी का गवाह।
ये नरम हवाएं, ये मीठा समां,
तू जब साथ हो, लगे यहीं जहां।
कोई बोलूं ना, कोई कहूं ना,
तेरी खामोशी भी दे जाए दास्ताँ।
रातें भी तेरे नाम लिखती गईं,
चुपचाप मेरी सांसें सिसकती रहीं।
जो तू न बोले, पर पास रहे,
बस इतना ही काफी, सारी उम्र के लिए।
चुप रहें जब हम, पर एहसास बोलें,
तेरी आँखों की दुआ मेरे भीतर खोलें।
तू जब साथ हो, कितनी रातें जागें,
तेरी साँसों से बंध जाएं ये फासले सारे।
तेरे साथ चलूं तो धड़कन चले,
तेरे संग रहूं तो सवेरा ढले।
तेरे पास आऊं… तो अच्छा लगे,
कुछ ना कहूं… फिर भी सब कह जाए।
ये नरम हवाएं, ये मीठा समां,
तू जब साथ हो, लगे यहीं जहां।
कोई बोलूं ना, कोई कहूं ना,
तेरी खामोशी भी दे जाए दास्ताँ।
- ललित दाधीच।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




