झुक गया है शीश चरन
आया अब है तेरी शरन
कर दिया सब अरपन
सर्वस्व किया तुझे समर्पण
हे नयनाभिराम नयना धार
न करना अब निराधार
खोजा मनका मनका कण
धूम लिया सारा जग
ना मिटा मन का तम
तम में ही रहना लिपट
बस यही है हर ओर भरम
असत है सबका यह भरम
बस इतनी कृपा करना परम
झुका है जो शीश चरन
ना झुका पाये कोई भरम
झुक गया है शीश चरन
अब आया तेरी शरण
✍️#अर्पिता पांडेय