इस अंजान सफर के, एक मुसाफिर हम भी..
दुनिया हमसे हैरां, दुनिया से मुतासिर हम भी..।
अपने वक्त में कौन अपने आप में रह सका..
इसका कोई फैसला करे, तो हाज़िर हम भी..।
तुम गर कोई नई सुबह का, वादा कर जाओ..
तो उम्रभर इंतिज़ार के पाबंद, साबिर हम भी..।
तुम जरा खुली किताब बन कर दिखलाओ तो..
फिर दिल के सब राज कर देंगे, जग–ज़ाहिर हम भी..।
दुनिया हर रोज़ एक नया सबक देती है अब हमको..
इसको समझने में कभी तो होंगे, माहिर हम भी..।
पवन कुमार "क्षितिज"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




