कापीराइट गीत
उठ कर तेरे दर से, मैं जाऊं कहां
मैं किसे हाल अपना सुनाऊं यहां
कितने, कांटे बिछे हैं, मेरी राह में
क्यूं, घायल, है मीरा, तेरी चाह मैं
दर्दे दिल किसको मैं बताऊं यहां
हाल किसको.......................
लाज, अब है मेरी, तुम्हारे हाथ में
अब बचाना है इसको तेरे हाथ में
उठके अब यहां से मैं जाऊं कहां
हाल किसको .......................
आज संकट में है ये जहां आपका
नष्ट, कर दो प्रभू, ये घड़ा पाप का
छोङ कर द्वार तेरा मैं जाऊं कहां
हाल किसको ......................
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है