शीर्षक : असत्य का वृक्ष
कवि : डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
असत्य का लोग पक्ष लेते हैं,
असत्य के वृक्ष को सींचते हैं।
दिन दूना, रात चौगना,
फलता और फूलता है।
और राक्षस की तरह,
अट्टहास लगाता है।
उस वक्त होती है,
जय-जय कार।
पछताता हैं फिर ऐ!"विख्यात"
और होता है मौत का हा -हाकार।