किस किस को क्या कहें
हर रंग में धोखे मिलें
दुश्वारियों का सबब भी
अजीब था
निकाला वह क़ातिल जो
दिल के करीब था।
किस किस से करूं फरियाद
करूं नमस्ते दुआ सलाम
सब अपने रंग में उड़ रहें
कौन सुने मेरी आवाज़ ।
देखी बहुत दोस्ती यारी
प्यार यार रिश्तेदारी
सब बेवफ़ा निकले
जो चलने को साथ किए
थें वादे
वो बेवफ़ा बेमुरौवत निकले
जीवन के एक मोड़ पर हीं
रुख अपना मोड़ लिए
क्या करे ये दिल किसी पे
भरोसा
देकर दिलासा दिल तोड़
दिए।
एक एक कर सब
जो बनते थे कभी
हमदर्द मेरा
वो मौसम की तरह
बदल गए।
ढूंढा दिल उन्हें बार बार
वो फिर ना कभी यार मिले।
वो प्यार था या फिर तिज़ारत
बस एक हाथ से दिए
तो दूजे हाथ से लिए
बस मतलब भर की दोस्ती की
और मतलब भर का साथ दिए
बस मतलब भर की दोस्ती की
और मतलब भर का साथ दिए.....