तोर नथनी म अटक गे मोर दिल,
मोर दिल ल चुरा ले गिस तोर काला तिल,
रूप तोरे पुन्नी के चंदा, मैं तोर चकोर,
भेरी-भेरी आथे तोर सूरता, अब्बड़ सताथे तोर सोर,
तोर बिना रहे नई सकाय, अब जल्दी से तै मिल।
तोर नथनी म अटक गे मोर दिल,
मोर दिल ल चुरा ले गिस तोर काला तिल,
बन पंछी उड़ चली, चहू ओर अगास म,
प्रेम पुरवाई ले महका देबो,
जैसे महकथ संसार सुबास म,
समा जा अंतस म, आ जा न मोर पास,
बन के सजनी हो जा मोर जिनगी म शामिल।
तोर नथनी म अटक गे मोर दिल,
मोर दिल ल चुरा ले गिस तोर काला तिल,
तै मोरे मन मंदिर के देवी मैं तोर पूजारी,
संगे म रहिबो जिनगी भर,
जैसे कत्था-चूना संग सुपारी,
तै मोर दिया गोरी में तोर बाती,
तोर बिना मोर दुनिया होगे झिलमिल।
तोर नथनी म अटक गे मोर दिल,
मोर दिल ल चुरा ले गिस तोर काला तिल।
🖊️सुभाष कुमार याद