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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

उसके आने की आहट

चाॅंद भी आज मुझ पर बहुत हॅंस रहा था..
खा चुकी थी कसम मैं जिसे भूल जाने की,
आज वो याद जो बहुत आ रहा था।

आज उसके आने की हल्की सी आहट मुझे सुनाई दी, जिसके आने की ना थी कोई गुंजाइश
आज अचानक उसके आने की आहट ने,
मेरे अंदर उसकी वापसी की आस जगा दी।

चाॅंद भी आज मुझसे पूछ रहा था,
तू बनी है किस मिट्टी की,समझ ना आई मुझे।
कभी उससे नाराज़ होकर कहती थी कि
बातें नहीं करूंगी उससे कभी,
फिर बातें बड़े शौक से उससे करती थी।

आज कई देर तक बातें, मेरे और चाॅंद के दरमियां हुई, कह रहा था वो मुझे, है जैसी कोमल ह्रदय तू,
क्यों वैसा है नहीं ये जहां?
है जैसी तू क्यों वैसा नहीं है इस धरती का हर इंसा?

कह रही थी आज मेरी परछाई भी मुझसे,
तू समझ नहीं आई मुझे।
एक अरसे से जो छोड़ गया था बिन बताए अचानक तुझे, आज उसके आने की खबर से क्यों तू इतनी बेचैन है, आज उसके लिए क्यों तू इतनी खुश है।

चाॅंद भी आज मुझ पर बहुत हॅंस रहा था..
खा चुकी थी कसम मैं जिसे भूल जाने की,
आज वो याद जो बहुत मुझे आ रहा था।

- रीना कुमारी प्रजापत








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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Lekhram Yadav said

आपकी रचना में एक नयापन है जो इसे विशेष बनाती है। बहुत अच्छी प्रस्तुती है आपकी

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏🙏

Ankush Gupta said

Bahut hi uttam rachna

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया

ताज मोहम्मद said

बहुत खूब बड़ी ही सुंदर रचना।

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया 🙏

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