पानी की बूंद-बूंद को तरस रहा था,
आदमी अब पानी में डूब रहा है।
लालच में धन के पागल हो गया था,
पानी के डर से घर में छिप गया है।
स्वर्ग की खोज में नरक ले निकला था,
सुना है, रास्ते में ही दब कर मर गया।
आदमी आया था कुदरत उजाड़ने को,
कुदरत ने आदमी को उजाड़ दिया।


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







