नज़रें बस उन्हीं को ढूॅंढती हैं,
सफ़र जब भी उनके शहर का करते हैं।
रोम-रोम खिल उठता है,
जब भी किसी बात में ज़िक्र उनका करते हैं।
अस्तित्व नहीं हमारा उनके बिना,
उनसे मोहब्बत हम इस क़दर करते हैं।
हम जानना चाहते हमारे बारे में उनका ख़याल,
पर वो हर वक़्त अगर मगर करते हैं।
खुद पर भी नहीं है हमे यकीं जितना,
उतना भरोसा हम उन पर करते हैं।
बहुत नुस्खे आजमाते हैं उनसे दिल की
बात बुलवाने को,
पर मेरे नुस्खे उन पर नहीं असर करते हैं।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐