आज उससे बात करके बहुत हँसी आ रही है,
कुछ वक्त पहले उसकी बातों से मैंने उसे
मेरे जैसा समझ लिया था
पर आज वो कुछ और निकली हैं।
एक अरसे पहले उसने मुझे कुछ कहा था,
दिल उस बात को मानने के लिए तैयार ना था
पर शायद लगाकर इस दिल ने उस बात को मान लिया था।
एक अरसे पहले मैंने भी उसकी भलाई के लिए
उससे कुछ कहा था,
पर उसने कहा ये मेरे लिए ठीक नहीं है।
आज जब वक्त मेरा आया
जहां वो खड़ी थी उस वक्त,
वहां आज मैं खड़ी हूॅं
और जहां मैं खड़ी थी उस वक्त वहां आज वो खड़ी है।
जो मैंने उस वक्त उसे समझाया था
आज वो मुझे समझा रही थी। उस वक्त उसने कहा था ये मेरे लिए ठीक नहीं है।
आज मैंने कहा ये मेरे लिए ठीक नहीं है।
बदल गई वो नादान और कहने लगी यही तो ठीक है
जब मैंने उसे समझाया तो ना समझी,
और आज जब वक्त मेरा आया तो मुझे समझाने लगी।
एक अरसे पहले जब उसने मुझसे कुछ कहा था
तो मैं हैरान थी,
अच्छा ये भी है मेरे जैसी।
पर आज पता चला इस दुनिया में मेरे जैसा तो कोई नहीं,
सबकी सोच एक है इस दुनियां में
मेरी सोच वाला तो कोई नहीं।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




