कापीराइट गजल
अब रखना मेरा ख्याल उसे मंजूर नहीं
फासले हैं बहुत मगर दिल से दूर नहीं
जरूरत है कहां अब किसी की उनको
साथ हर किसी का उसे मंजूर नहीं
कमी नहीं है कोई भी उसके घर में
और दिल से भी अब वो मजबूर नहीं
ये मुरझाए हुए चेहरे उसे पसन्द नहीं
उसे चाह नए चेहरे की मेरे हुजूर नहीं
नफरत नहीं उसे इस तन्हाई से अब
मगर रिश्ता कोई तन्हाई से मंजूर नहीं
अपनों को कभी उसने गैर समझा नहीं
किसी गैर से रिश्ता उसको मंजूर नहीं
जब कहानी में मोड़ नया यूं ही आ जाए
ऐसे हालात भी यादव को मंजूर नहीं
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है